Home या Car Loan चाहिए तो थोड़ा रुक जाइए, RBI कर सकता है बड़ा ऐलान
Home Loan या Car Loan की जरूरत है तो RBI इसके रेट को लेकर शुक्रवार को बड़ा ऐलान कर सकता है. क्योंकि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति (Monetary Policy Committee) की बैठक बुधवार से चल रही है.
Repo rate में बदलाव होता है तो इससे Home और Car Loan सस्ता हो जाएगा. (Reuters)
Repo rate में बदलाव होता है तो इससे Home और Car Loan सस्ता हो जाएगा. (Reuters)
Home Loan या Car Loan की जरूरत है तो RBI इसके रेट को लेकर शुक्रवार को बड़ा ऐलान कर सकता है. क्योंकि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति (Monetary Policy Committee) की बैठक बुधवार से चल रही है. इस बैठक में आरबीआई तय करेगा कि Prime Lending rates में कोई रिवीजन किया जाए या नहीं. अगर वह Repo rate में बदलाव करता है तो इससे Home और Car Loan सस्ता हो जाएगा.
तीन बार नहीं बदली है ब्याज दर
हालांकि पहले की 3 बैठकों में इसमें कोई चेंज नहीं हुआ है. इस बात की उम्मीद है कि 5 फरवरी को घोषित होने वाली द्विमासिक नीतिगत दरों में एमपीसी बेंचमार्क रेपो रेट में कटौती से बचेगी. इससे सिस्टम में पर्याप्त मात्रा में लिक्विडिटी की उपलब्धता सुनिश्चित होगी और इससे इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में निवेश बढ़ेगा. कोरोना काल में आरबीआई से उम्मीद है कि वह अपना उदार रुख बरकरार रखेगा, जिससे लोगों पर कोई अतिरिक्त बोझ नहीं पडे़गा.
पहले हुई मौद्रिक नीति (Monetary policy) की समीक्षा के बाद प्रमुख ब्याज दर रेपो रेट (repo rate) 4 फीसदी पर स्थिर है. वहीं रिवर्स रेपो रेट भी 3.35 फीसदी पर बरकरार रखा गया है.
TRENDING NOW
Repo रेट वह ब्याज दर है जिस पर रिजर्व बैंक SBI समेत दूसरे बैंकों को कम समय के लिए कर्ज देता है. अगर इसमें कटौती होती तो बैंकों को RBI को कम ब्याज देना होता, जैसे बैंक अपने ग्राहकों को कर्ज देने के बाद ब्याज emi के रूप में वसूलते हैं. कटौती होती तो इसका असर आपकी emi पर भी पड़ता.
इसके उलट अगर रिजर्व बैंक Repo rate बढ़ाता तो बैंकों के लिए उसे कर्ज लेना महंगा हो जाता. इससे Home loan, Car loan और दूसरे लोन की ब्याज दर बढ़ जाती. हालांकि यह तभी होता है जब बाजार में डिमांड अच्छी हो. कोरोना वायरस (Coronavirus) के कारण इस समय मार्केट में वैसे ही लोन की डिमांड डाउन चल रही है. इसलिए RBI इसे स्थिर रखे है.
वहीं रिवर्स रेपो रेट वह दर है जो RBI बैंकों को ब्याज के तौर पर देता है. बैंक अपनी रकम रिजर्व बैंक के पास रखते हैं. इस पर RBI उन्हें ब्याज देता है. बाजार में लिक्विडिटी बढ़ने पर RBI इस रेट में फेरबदल करता है ताकि बैंक ज्यादा ब्याज कमाने के लिए बड़ी रकम उसके पास गिरवी रखें.
इन दो दरों के बाद कैश रिजर्व रेशियो (CRR) का अहम रोल है. यह सीधे तौर पर ग्राहकों की emi से जुड़ी है. बैंक को कुल कैश रिजर्व का एक हिस्सा रिजर्व बैंक के पास जमा करना होता है. इस रकम को मुसीबत के वक्त के लिए रखा जाता है. बैंक के साथ दिक्कत पर इसका इस्तेमाल होता है. अगर यह बढ़ता है तो बैंकों को ज्यादा बड़ी रकम रिजर्व बैंक में रखनी होगी. इससे वह कर्ज कम बांट पाएंगे.
Zee Business App: पाएं बिजनेस, शेयर बाजार, पर्सनल फाइनेंस, इकोनॉमी और ट्रेडिंग न्यूज, देश-दुनिया की खबरें, देखें लाइव न्यूज़. अभी डाउनलोड करें ज़ी बिजनेस ऐप.
ज़ी बिज़नेस LIVE TV यहां देखें
09:46 AM IST